महानिदेशक दूरसंचार
हमारे बारे में :
महानिदेशक दूरसंचार, दूरसंचार विभाग में एक शीर्ष स्तर का अधिकारी होता है जो देशभर में स्थित सभी 22 लाइसेंस प्राप्त सेवा क्षेत्रों में इसकी क्षेत्रीय इकाइयों के प्रमुख के रूप में कार्य करता है। महानिदेशक दूरसंचार (डीजीटी-एचक्यू) का कार्यालय दिल्ली में स्थित है। महानिदेशक (डीजीटी) मुख्यालय में एक वरिष्ठ उप महानिदेशक और चार उप महानिदेशक को शामिल करते हुए एक टीम इनके कार्य में सहायता करती है।
महानिदेशक दूरसंचार का सेटअप :
महानिदेशक दूरसंचार-मुख्यालय में उप महानिदेशक का कार्य-आवंटन
दूरसंचार विभाग के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त सेवा क्षेत्र (एलएसए) इकाइयों के प्रमुख कार्य:
सुरक्षा
- एजेंसियों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से संबंधित कार्य।
- सीएमएस/आईएमएस का प्रचालन और रख-रखाव संबंधी कार्य।
- अवैध कार्यकलापों को रोकना/दूरसंचार नेटवर्कों के अवैध कार्यों/अवैध प्रचालन पर नियंत्रण करना
- अपराधियों के विरूद्ध प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करना, प्रचलित विभिन्न अधिनियमों की शर्तों का उल्लंघन दर्शाते हुए नोटिस जारी करना।
- विभिन्न लाइसेंसधारकों की कॉल/सदस्यता/ट्रैफिक डाटा का विश्लेषण करना।
- इंटरनेट लीज लाइन, अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय निजी लीज सर्किट का सुरक्षा संबंधी निरीक्षण।
- अप्रमाणिक आईएमईआई मामलों का पता लगाना और विश्लेषण करना।
- सेवा प्रदाता के दूरसंचार नेटवर्क की सुरक्षा संबंधी लेखापरीक्षा।
- संबंधित मामलों पर पक्ष-समर्थन और सार्वजनिक जागरूकता।
प्रौद्योगिकी
- दूरसंचार सेवा प्रदाताओं [अभिगम सेवा, एनएलडी, आईएलडी, आईएसपी, ओएसपी, आईपी, वीसैट आदि] का निरीक्षण करना।
- ओएसपी पंजीकरण करना।
- आपदा (आपदा प्रबंधन) के जवाब में दूरसंचार सेवा।
- प्राकृतिक आपदाओं अथवा आपातकालीन स्थितियों में सहायता प्रदान करना।
- वीएलआर डाटा का सत्यापन।
- वैश्विक कॉलिंग कार्ड, अंतर्राष्ट्रीय सिमों आदि को बेचने के लिए अनापत्ति (एनओसी) संबंधी मामले।
- दूरसंचार नेटवर्कों के अनुमति क्षेत्र के भीतर यह पता लगाना कि लाइसेंसधारक समय के अनुकूल सेवाएं प्रदान कर रहा है।
- सुरक्षित समर्पित संचार नेटवर्क।
- इंटरकनेक्ट एक्सचेंज।
- संबंधित मामलों पर पक्ष-समर्थन और सार्वजनिक जागरूकता।
सेवा-अनुपालन
- लाइसेंसदाता द्वारा जारी लाइसेंस शर्तों और जनहित में जारी किए गए दिशा-निर्देशों के संबंध में लाइसेंसधारक द्वारा सेवा-अनुपालन की जांच करना।
- दूरसंचार प्रतिष्ठान और तंरग संचार पोर्टल से विद्युत चुंबकीय विकिरण(ईएमएफ) उत्सर्जन से संबंधित मामले।
- यह पता लगाने के उद्देश्य के साथ कि क्या मोबाइल सेवा प्रचालक, कनेक्शन उपलब्ध कराने से पहले उपभोक्ता–सत्यापन के लिए दूरसंचार विभाग के दिशा-निर्देशों का अनुपालन कर रहे हैं या नहीं, उपभोक्ता-दस्तावेज संबंधी सत्यापन करना।
- लाइसेंस क्षेत्र में विभिन्न लाइसेंस प्राप्त सेवा प्रदाताओं की सेवा का परीक्षण करना और लाइसेंस-शर्तों के अनुसार रॉल-आउट दायित्वों की जांच करना।
- मोबाइल नंबर पोर्टबिलिटी से संबंधित मुद्दे।
- संबंधित मामलों पर पक्ष-समर्थन और सार्वजनिक जागरूकता।
प्रशासन
- सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रचालकों और बातचीत के माध्यम से संबंधित कमियों के संबंध में उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण करना।
- आरटीआई प्रश्नों का जवाब देना।
- प्रशिक्षण एवं कौशल विकास।
- कार्याशालाओं, सम्मेलनों और प्रस्तुतियों का आयोजन करना।
- संसदीय मामलों का जवाब देना।
- अदालती मामलों से निपटना।
- अन्य नियमित प्रशासनिक कार्य।
- संबंधित मामलों पर पक्ष-समर्थन और सार्वजनिक जागरूकता।
ग्रामीण
- राज्य सरकारों के साथ मार्गाधिकार (राइट ऑफ वे) संबंधी मुद्दे और समन्वय।
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मिशन के लिए गांवों और वित्तीय समावेशन योजना (एफआईपी) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों का नेटवर्क कवरेज/कनेक्टिविटी।
- दूरसंचार विभाग द्वारा वित्त पोषित किए जा रहे एलडब्ल्यूई एवं यूएसओएफ साइटों का तकनीकी अनुपालन के लिए निरीक्षण करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरणीय संबंधी सधारणीय प्रौद्योगिकियों का कार्यान्वयन।
- संबंधित मामलों पर पक्ष-समर्थन और सार्वजनिक जागरूकता।
पृष्ठभूमि संबंधी जानकारी:
देश में दूरसंचार प्रचालकों की संख्या बढ़ने के साथ, सरकार ने देश के सभी लाइसेंस सेवा क्षेत्रों (एलएसए) और बड़े दूरसंचार जिलों पर इस क्षेत्र में टेलीग्राफ प्राधिकारी की उपस्थिति की आवश्यकता को महसूस किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेवा प्रदाता लाइसेंस शर्तों का अनुपालन करते हैं और दूरसंचार नेटवर्क की सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर ध्यान दिया जा सके। निजी दूरसंचार और इंटरनेट सेवाओं के बढ़ने के साथ, अवैध/निषेधित दूरसंचार प्रचालन भी देखा गया है। इन मुद्दों का निपटान करने के लिए सरकार ने प्रारंभिक रूप से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नै में नवंबर, 2004 में सतर्कता दूरसंचार निगरानी प्रकोष्ठों (वीटीएम) का गठन किया था।
वर्ष 2006 के दौरान पंजाब, राजस्थान, गुजरात, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश (पूर्व) के सर्किलों के लिए 9 और वीटीएम प्रकोष्ठों का गठन किया गया था तथा इसके बाद जनवरी, 2007 में आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्य-प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश (पश्चिम), अंडमान एवं निकोबार, असम, छत्तीसगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर-।, पूर्वोत्तर-।।, ओडिशा और उत्तराखंड के लिए 15 वीटीएम प्रकोष्ठों को भी जोड़ा गया था। इसके अतिरिक्त, मार्च, 2007 में कोलकाता, अहमदाबाद, बैंगलुरू, पुणे, जयपुर एवं लखनऊ हेतु 6 और वीटीएम प्रकोष्ठों को भी जोड़ा गया था और इस प्रकार इनकी कुल संख्या 34 हो गई है।
दूरसंचार विभाग में सतर्कता एवं दूरसंचार निगरानी (वीटीएम) प्रकोष्ठों की स्थापना के बाद से, वीटीएम प्रकोष्ठों की भूमिका और कार्यों में कई गुना वृद्धि हुई है। प्रकोष्ठों को दिए गए कार्यों के संपूर्ण पहलुओं को प्रतिबिंबित करने की दृष्टि से और कर्मचारी सतर्कता कार्यकलापों की तरह उनकी भुमिका में अंतर करने के लिए दिनांक 05 अगस्त, 2008 से वीटीएम प्रकोष्ठों का नाम बदलकर दूरसंचार प्रवर्तन, संसाधन और अनुश्रवण (टीईआरएम) प्रकोष्ठ कर दिया गया था। इन इकाइयों की भूमिकाओं और कार्यों को आगे और बढ़ाने के बाद इन क्षेत्रीय इकाइयों को अब दूरसंचार विभाग की एलएसए इकाइयां कहा जाता है।
मई, 2013 में इस क्षेत्र में विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए मौजूदा टर्म प्रकोष्ठों के साथ तीन नई इकाइयां नामत: सुरक्षा, नई प्रौद्योगिकी और लोक शिकायत (पीजी) का भी गठन किया गया था।
प्रत्येक एलएसए में फरवरी, 2017 में टर्म, सुरक्षा, पीजी और एनटी सहित क्षेत्रीय इकाइयों की एकीकृत संरचना की गई थी और महानिदेशक दूरसंचार के शीर्ष स्तर के एक पद का सृजन देशभर में फैले सभी 22 एलएसए इकाइयों के एक प्रमुख के रूप में किया गया था।
महत्वपूर्ण सूचना:
- महानिदेशक दूरसंचार मुख्यालय के संपर्क
- एलएसए इकाइयों के प्रमुख के संपर्क
- एलएसए इकाइयों में सीपीआईओ एवं डीएए के संपर्क