तेजी से एक-दूसरे के साथ जुड़ते हुए विश्व में, भारत एक प्रमुख भागीदार के रूप में अपनी प्रगति और क्षमता के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहा है। वस्तुत: भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था का मौजूदा अनुमानित आकार लगभग 350 बिलियन यूएसडी है जिसके 1 यूएसडी ट्रिलियन मार्क को पार करने की आशा है। दूरसंचार से डिजिटल अर्थव्यस्था में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान देने के लिए इस असाधारण विकास पथ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आशा है।
इस उछाल के संपूर्ण लाभों को प्राप्त करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में हमें एक मजबूत और सर्वव्यापी दूरसंचार अवसंरचना एवं सेवा पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) की आवश्यकता है ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था का ‘पे-आफ’ न केवल अधिकतम हो बल्कि यह जनसंख्या के सभी क्षेत्रों में व्याप्त रहे। हाल ही में जून, 2017 को हुए आईसीआरआईईआर अध्ययन से यह पता चला है कि भारत में इंटरनेट उपयोग में हुई 10 प्रतिशत की वृद्धि से हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 3.3 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। यह वृद्धि प्राथमिक रूप से है क्योंकि इंटरनेट भौतिक अवसंरचना की कमी को दूर करता है और शिक्षा एवं स्वास्थय जैसी बुनियादी सेवाओं को प्राप्त करने में सक्षम हो सकता है।
भारत में दूरसंचार क्षेत्र निरंतर और न्यायसंगत विकास हेतु एक ठोस आधार प्रदान करने के लिए तैयार है। भारत में ‘वायस’ लगभग नि:शुल्क हो गई है और डाटा विश्व में सबसे सस्ता है। साथ ही उपकरण भी तेज़ी से सस्ते हो रहे हैं। इसलिए आज, एक फीचर फोन 250 रु. (4 यूएसडी से कम) में खरीदा जा सकता है और स्मार्टफोन 1,500 रु. (24 यूएसडी से कम) में उपलब्ध हैं। वस्तुत: मोबाइल फोन एक ऐसे महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में ऊभर कर आ रहा हे जो कि विभिन्न सेवाओं के सार्वभौमिक अभिगम में सक्षम है और 40 प्रतिशत इंटरनेट अर्थव्यवस्था का उपयोग इंटरनेट द्वारा किया जा रहा है। हाल ही में भारत में डाटा की विकास दर लगभग 500 प्रतिशत हो गई है जो न केवल बहुत अधिक है बल्कि विश्व में यह भारत को अमेरिका और चीन से भी आगे मोबाइल डाटा का सबसे बड़ा उपभोक्ता बना रही है।
नागरिकों, उद्योग और सरकार सहित सभी ‘स्टेकहॉल्डरों’ की अपेक्षाओं को पूरा करने हेतु दूरसंचार क्षेत्र के लिए आगामी दो वर्षों में लगभग 60 बिलियन यूएसडी का निवेश किए जाने की आवश्यकता है। पिछले कुछ दशकों में इस क्षेत्र में कुल निवेश लगभग 140 बिलियन यूएसडी हुआ है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह कार्य चुनौतिपूर्ण लग रहा है। इसलिए आवश्यक स्तर के निवेश को उत्प्रेरित करने के लिए एक अनुकूल कारोबारी माहौल का निर्माण कठिन है।
दूरसंचार विभाग दूरसंचार क्षेत्र के विकास के लिए एक प्रेरक की भूमिका निभाने का प्रयास कर रहा है जिससे डिजिटल अर्थव्यव्था का भी विकास होगा। हाल ही में दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2018 के जरिए उन विभिन्न कारकों पर समग्र रूप से विचार करने का प्रयास किया जाएगा जिनसे लंबे समय तक इस क्षेत्र का मजबूत और गतिशील विकास सक्षम होगा। इस राष्ट्रीय दूरसंचार नीति में इस क्षेत्र को प्रभावित करने के लिए विनियामक और लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क, सभी के लिए कनेक्टिविटी, सेवा गुणवत्ता, आसानी से व्यापार करना, 5जी तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) सहित नई प्रौद्यागिकियों का आमेलन करने जैसे मुख्य विषयों पर विचार करने का लक्ष्य रखा जा रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसे मुख्य विषय ने पहले ही उपर्युक्त सभी बातों को कवर कर लिया है। इस एनटीपी का निर्देशक सिद्धांत सभी ‘स्टेकहॉल्डरों’ के विचारों को लेते हुए एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण बनाना होगा।
विभाग, सार्वभौमिक मोबाइल और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के महत्वपूर्ण उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में कार्य करना जारी रखेगा। भारतनेट परियोजना का उद्देशय लगभग संपूर्ण ग्रामीण जनसंख्या को उच्च गति की ब्रॉडबैंड अवसरंचना की सुविधा प्रदान करना है और इसके तहत इस दिशा में यह प्रयास जारी रहेगा। पूर्वोत्तर और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए ‘कनेक्टिविटी’ प्रदान करने का लक्ष्य रखने वाले कार्यक्रमों सहित विभिन्न अन्य यूएसओएफ कार्यक्रम भी अब तक कवर नहीं किए गए क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान कर रहे हैं।
वास्तव में आज हम भारतीय दूरसंचार क्रांति के अत्यंत रोमांचक चरण में है। यह आवश्यक है कि हमारा लक्ष्य एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए दूरसंचार की संपूर्ण शक्तियों का उपयोग करके प्रौद्यागिकी के माध्यम से परिवर्तन करने का होना चाहिए। मुझे विश्वास है कि दूरसंचार क्षेत्र को मजबूत बनाने ओर इसका आधुनिकीकरण करने की मौजूदा संशोधित पद्धति से हम व्यापक और न्यायसंगत विकास करने के अपने उद्देश्य को पूरा करने में शीघ्र ही समर्थ हो जाएंगे।
दूरसंचार आयोग एवं सचिव (दूरसंचार)