पूरे विश्व में दूरसंचार सेवाओं को किसी देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साधन माना गया है। इसीलिए भारत के सामाजिक आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए दूरसंचार अवसंरचना एक महत्वपूर्ण कारक माना गया है। तदनुसार, दूरसंचार विभाग दूरसंचार सेवाओं की तेजी से वृध्दि के लिए विकास संबंधी नीतियां बना रहा है। यूनीफाईड एक्सेस सर्विस इंटरनेट और वीसेट सर्विस जैसी विभिन्न दूरसंचार सेवाओं को लाईसेंस प्रदान करने की जिम्मेदारी भी इसी विभाग की है। अंतरराष्ट्रीय निकायों से घनिठ समन्वय स्थापित कर रेड़ियो संचार के क्षेत्र में फ्रीक्वेंसी प्रबंधन की जिम्मेदारी भी इसी विभाग की है। यह विभाग देश में सभी प्रयोर्गकत्ताओं के बेतार पारेण की निगरानी करके बेतार विनियामक उपाय भी लागू करता है।
दूरसंचार आयोग
भारत सरकार ने दूरसंचार के विभिन्नप पहलुओं के समाधान के लिए भारत सरकार की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तयों सहित दूरसंचार आयोग की स्थापना11अप्रैल, 1989की अधिसूचना द्वारा की। आयोग एक अध्यक्ष,चार पूर्णकालिक सदस्य,जो कि दूरसंचार विभाग में भारत सरकार के पदेन सचिव हैं,और चार अंशकालिक सदस्य,जो कि संबंधित विभागों में भारत सरकार के सचिव हैं,से मिलकर बना है। आयोग का गठन निम्नानुसार है:
पदनाम |
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अध्यक्ष |
सदस्य(वित्त) |
सदस्य(उत्पादन) |
सदस्य(सेवा) |
सदस्य(प्रौद्योगिकी) |
दूरसंचार आयोग के अंशकालिक सदस्य हैं
- सचिव(सूचना प्रौद्योगिकी विभाग)
- सचिव(वित्त)
- सचिव(योजना आयोग),और
- सचिव(औद्योगिक नीति और प्रोन्नति)
दूरसंचार आयोग और दूरसंचार विभाग पर नीति निर्माण,लाईसेंसिंग,बेतार स्पैक्ट्रम प्रबंधन,सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की प्रशासनिक निगरानी,उपकरणों आदि के अनुसंधान और विकास तथा मानकीकरणइत्यादि की जिम्मेदारी है। दूरसंचार आयोग द्वारा अपनाई गई बहुआयामी रणनीतियों ने न केवल इस क्षेत्र की संरचना में बदलाव ला दिया है बल्कि इससे इस क्षेत्र की तीव्र वृध्दि में योगदान के लिए सभी सहभागियों को प्रेरणा मिली है।