विगत में इंटरनेट की पहुंच में जो भारी वृद्धि हुई है वह वृद्धि संपूर्ण देश में उपलब्ध सर्वव्यापी दूरसंचारअभिगम और दूसरी ओर जीवंत सामग्री एवंआवेदन पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यसम से संभव हुई है । इंटरनेट के माध्यकम से उभरते हुएनए व्यापार मॉडलों का प्रभाव और जन साधारण के इंटरनेट की खुली प्रकृति को सुरक्षित और संरक्षित रखने से नेट निष्पएक्षता संबंधित मुद्दे सामने आए हैं। एनटी प्रकोष्ठी नेट निष्परक्षता से संबंधित नीतिगत मामलों का निपटान करता है ।
दूरसंचार विभाग ने जनवरी, 2015 में नेट निष्पगक्षता के संबंध में छ: सदस्योंप की एक समिति का गठन किया था ताकि संपूर्ण नीति, विनियामक और तकनीकी प्रतिक्रियाओं की सिफारिश की जा सके । संबंधित मुद्दों का निपटान करने के लिए तुलनात्म क,विश्लेषणात्मक और भागीदारी दृष्टिकोण अपनाकर समिति की सिफारिशों को आम जनता के लिए उपलब्धनकराया गया था ताकिस्टेनकहोल्डकरों की टिप्प णियों को प्राप्तक किया जा सके । इस विषय पर समिति की रिपोर्ट का विभिन्नथ आख्या्नों पर गुणात्म क योगदान है ।
दिनांक 27.03.2015 को जारीकिए गए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के परामर्श पत्र “रेगुलेटरी फ्रेमवर्क फॉर ओवर दी टॉप(ओटीटी) सर्विस”शीर्षक के अंर्तगत ओटीटी सेवाओं की नेट निष्पेक्षता और विनियम से संबंधित मुद्दों को कवर किया गया है।
ट्राई ने दिनांक 09.12.2015 को “डिफरेन्शिोयल प्राइजिंग ऑफ डाटा सर्विसिज” नामक शीर्षक से एक और परामर्श पत्र जारी किया है तथा इसके पश्चाित् दिनांक 08 फरवरी,2016 को “प्रोहिबिशन ऑफ डिसक्रिमिनेटरी टैरिफ्स फॉर डाटा सर्विसिज, रेगुलेशंस, 2016” नामक अपने विनियम को जारी किया है जिसमें अन्यर बातों के साथ-साथ विषय-वस्तुस के आधार पर डाटा सेवाओं के लिए विभेदक प्रशुल्कों8 को प्रस्ताजवित अथवा प्रभारित करके किसी भी सेवा प्रदाता को निषेध किया गया है ।
- नेट निष्प क्षता समिति की रिपोर्ट
- सिफारिशों पर सारांश नोट