विदेशी निवेश नीति और संवर्धन (एफआईपीपी) प्रभाग का कार्य आवंटन:
विदेशी निवेश नीति एवं संवर्धन (एफआईपीपी) विंग दूरसंचार सेवा क्षेत्र से संबंधित एफडीआई प्रस्तावों/आवेदनों पर कार्रवाई करने के लिए दूरसंचार विभाग में नोडल विंग है। इस विंग को वर्ष 2018 में स्थापित किया गया था। इस विंग को अन्य संबंधित मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों, मुख्य रूप से आरबीआई, एमएचए, डीपीआईआईटी, डीओआर, एमईए, सेबी आदि के साथ समन्वय करना होता है। एफआईपीपी विंग द्वारा किए गए कार्यों का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है:
1. दूरसंचार सेवा क्षेत्र से संबंधित एफडीआई मामलों की जांच करना और अनुमोदन/अस्वीकृति/समापन करना। एफआईपीपी विंग डीपीआईआईटी के एफआईएफ पोर्टल पर ऑनलाइन प्रस्ताव प्राप्त करता है। प्रस्तावों की जांच डीओटी के लाइसेंसिंग विंग नामतः एएस, सीएस, डीएस एलएफपी, डब्ल्यूपीसी विंग के समन्वय से की जाती है। डीपीआईआईटी एसओपी के अनुसार आरबीआई की टिप्पणी और एमएचए सुरक्षा मंजूरी भी अपेक्षित होती है। आवेदनों में पाई गई कमियों को दूर करने के लिए आवेदकों से बातचीत की जाती है। एफडीआई नीति और डीपीआईआईटी एसओपी के अनुसार सभी आवश्यक दस्तावेजों की प्राप्ति के बाद एफडीआई मामले को सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाता है। ऐसे मामलों के लिए जहां एफडीआई 5000 करोड़ रूपए तक है, विभाग (एमओसी) सक्षम प्राधिकारी है और ऐसे मामलों के लिए जहां एफडीआई 5000 करोड़ रूपए से अधिक है, सीसीईए सक्षम प्राधिकारी है। एफडीआई प्रस्तावों के अपेक्षित दस्तावेजों आदि में कमी पाए जाने की स्थिति में मामले बंद कर दिए जाते हैं। यदि गृह मंत्रालय/डीओआर आदि द्वारा प्रस्ताव पर प्रतिकूल इनपुट/टिप्पणियां की जाती हैं तो डीपीआईआईटी की सहमति के बाद मामलों को खारिज किया जा सकता है।
2. दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने से संबंधित नीतिगत मुद्दों की जांच करना। जब भी एफडीआई से संबंधित प्रेस नोट 3 (2020), एफडीआई नीति 2020, डीपीआईआईटी एसओपी, फेमा गैर ऋण साधन नियम 2019 जैसी कोई नई नीति या दिशानिर्देश अधिसूचित किए जाते हैं तो एफडीआई विंग नई नीति की जांच करता है और उसे अपनी टिप्पणियों के साथ समय-समय पर सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत करता है।
3. दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित एफडीआई अनुमोदन के तहत शर्तों के अनुपालन की निगरानी करना जिसमें डीओटी/पूर्ववर्ती विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा अनुमोदित पिछले मामले शामिल हैं। एफआईपीपी विंग द्वारा प्रोसेस किए जाने वाले सभी प्रस्तावों को एफआईपीबी/डीओटी द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप होना चाहिए। यदि उल्लंघन पाया जाता है तो ऐसे मामले को केवल आरबीआई द्वारा कंपाउंडिंग के अधीन प्रोसेस किया जाता है।
4. दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित और डीओटी के पास लंबित एफडीआई प्रस्तावों पर एसओपी के अनुसार नियमित मासिक समीक्षा करना और उसे सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत करना।
5. सचिव, डीपीआईआईटी और सचिव, एमएचए (पीएन3 मामले), जैसा भी मामला हो, की अध्यक्षता में आयोजित अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) की बैठकों में सचिव (दूरसंचार) की सहायता करना।
6. प्राप्ति की तारीख, निवेशक और निवेशकर्ता कंपनी, शामिल विदेशी निवेश की मात्रा और अनुमोदन/अस्वीकृति/समापन पत्र जारी करने की तारीख जैसे विवरणों के साथ प्राप्त प्रस्तावों के डीपीआईआईटी एसओपी की अपेक्षा के अनुसार डेटाबेस को बनाए रखना। vii.एफआईपीपी विंग से संबंधित संसदीय मामलों से संबंधित कार्य करना।
7. डीओटी में राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली के कार्यान्वयन के समन्वय और निगरानी द्वारा निवेशकों के लिए ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना। एनएसडब्ल्यूएस इन्वेस्ट इंडिया के तहत भारत सरकार और सभी राज्य सरकारों में लागू डीपीआईआईटी का प्रमुख कार्यक्रम है। डीडीजी (एफआईपीपी) परियोजना के लिए डीओटी में नोडल अधिकारी हैं।