यूएसओएफ

  • सार्वभौमिक सेवा दायितव निधि (यूएसओएफ)

    1.0 विहंगावलोकन

    1.1 सार्वभौमिक सेवा सहायता नीति 1 अप्रैल, 2002 से लागू हुई। सार्वभौमिक सेवा सहायता के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए और इन्हें 27 मार्च, 2002 को दूरसंचार विभाग की वेबसाइट DOT पर उपलब्ध कर दिया गया था। तदनुसार यूएसओएफ को सांविधिक दर्जा देने हेतु दिसम्बर 2003 में संसद के दोनों सदनों द्वारा भारतीय तार (संशोधन) अधिनियम, 2003 पारित किया गया। इस निधि का प्रयोग केवल सार्वभौमिक सेवा दायित्व को पूरा करने के लिए किया जाएगा और इस में जमा राशि वित्तर् की समाप्ति पर व्यपगत नहीं होगी। इस निधि में धनराशि संसद के अनुमोदन से जमा कराई जाती है। इस निधि को प्रशासित करने वाले नियमों को भारतीय तार (संशोधन) नियमावली 2004 कहा जाता है जो 26.03.2004 को अधिसूचित किए गए थे।

    (यूएसएल) के माध्यम से जुटाए जाते हैं, जो इस समय इंटरनेट, वायस मेल, ई-मेल, इत्यादि जैसे विशुध्द मूल्यवर्धित सेवा प्रदाताओं को छोड़कर सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 5% निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार त्रऽण और अनुदान भी प्रदान कर सकती है।

    1.3 देश के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल सेवाओं और ब्रॉडबैंड संयोजन सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से 30.10.2006 को भारतीय तार (संशोधन) अध्यादेश के रूप में एक अध्यादेश प्रख्यापित किया गया था। तदनुसार, भारतीय तार अधिनियम 1885 को संशोधित करने के लिए 29.12.2006 को भारतीय तार (संशोधन) अधिनियम 2006 पारित किया जा चुका है। इस अध्यादेश के अंतर्गत इस निधि को प्रशासित करने के लिए नियमावली, जिन्हें भारतीय तार (संशोधन) नियमावली 2006 कहा जाता है, 17.11.2006 को प्रकाशित की गई है।

    1.4 सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि की अध्यक्षता प्रशासक यूएसएफ द्वारा की जाती है। उन्हें यूएसओ के क्रियान्वयन के लिए कार्यविधि बनाने और यूएसओएफ से निधियां संवितरित करने की शक्तियां प्राप्त हैं। यह कार्यालय दूरसंचार विभाग संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संबध्द कर्यालय के रूप में कार्य करता है।

    2.0 सार्वभौमिक सेवा निधि के क्रियाकलाप

    नियमों के अनुसार इस निधि द्वारा नामत: निम्नलिखित सेवाओं के संबंध में सहायता प्रदान की जाएगी :

    (i) स्ट्रीम-I : सार्वजनिक दूरसंचार और सूचना संबंधी सेवाएं -

    परंतु 1991 की जनगणना के अनुसार चिह्नित गांवों जिनमें ग्रामीण सार्वजनिक टेलीफोन अब स्थापित किए जाने हैं उनके मामले में भी निवल लागत के निर्धारण हेतु पूंजी वसूली को भी ध्यान में रखा जाएगा।

    (ख) प्रत्येक राजस्व गांव में एक ग्रामीण सार्वजनिक टेलीफोन का लक्ष्य प्राप्त करने के पश्चात अतिरिक्त ग्रामीण सामुदायिक फोन प्रदान करना :- जहां कहीं भी एक गांव की जनसंख्या 2000 से अधिक है और वहां पर कोई भी सार्वजनिक कॉल ऑफिस नहीं है, वहां एक अन्य सार्वजनिक टेलीफोन स्थापित किया जाएगा और निवल लागत के निर्धारण हेतु पूंजी वसूली, प्रचालन व्यय तथा राजस्व की गणना की जाएगी।

    (ग) 1 अप्रैल 2002 से पूर्व स्थापित किए गए मल्टी एक्सेस रेडियो रिले प्रौद्योगिकी वाले ग्रामीण सार्वजनिक टेलीफोन का प्रतिस्थापन :- निवल लागत निर्धारण करने के लिए पूंजी वसूली, प्रचालन व्यय और राजस्व की गणना की जाएगी।

    नोट - यदि केन्द्र सरकार द्वारा अन्यथा विनिर्दिट न किया गया हो, गौण स्विचन क्षेत्र को स्ट्रीम-। की सं0

    (क) से (ङ) तक की मदों में विनिर्दिट गतिविधियों हेतु निवल लागत का आकलन करने के उद्देश्य से एक एकक के रूप में समझा जाएगा।

    स्ट्रीम-॥ - केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित किए अनुसार ग्रामीण व दूर-दराज के क्षेत्रों में घरेलू टेलीफोनों का प्रावधान

    (क) 1 अप्रैल, 2002 से पहले संस्थापित घरेलू सीधी एक्सचेंज लाइनों के लिए, ग्रामीण उपभोक्ताओं से वास्तव में लिए गए किराये तथा इन उपभोक्ताओं के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किराये के अंतर की प्रतिपूर्ति कर दी जाएगी बशर्ते कि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण द्वारा समय समय पर निर्धारित अभिगम घाटा प्रभारों के अंतर्गत इस अंतर को ध्यान में लिया गया हो ।

    (ख) 1 अप्रैल, 2002 के बाद संस्थापित घरेलू सीधी एक्सचेंज लाइनों के लिए, निवल लागत निर्धारित करने में पूँजीगत उगाही, प्रचालनात्मक खर्च और राजस्व को ध्यान में रखा जाएगा।

    टिप्पणी -

    जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा अन्यथा विनिर्दिट न किया गया हो, अल्प दूरी प्रभारण क्षेत्र को स्ट्रीम-॥ की मद (ख) में विनिर्दिट कार्यकलापों की निवल लागत निकालने के लिए एक इकाई के रूप में लिया जाएगा ।

    (iii) स्ट्रीम-॥। : ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में मोबाइल सेवाएं प्रदान करने के लिए अवसंरचना का सृजन :

    (क) मोबाइल सेवाएं प्रदान करने के लिए अवसंरचना के रूप में परिसंपत्तियों को केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर विनिर्धारित किया जाएगा ।

    (ख) मोबाइल सेवाएं प्रदान करने के लिए अवसंरचना हेतु पूँजीगत उगाही की प्रतिशतता को निवल लागत का निर्धारण करते समय ध्यान में रखा जाएगा ।

    (iv) स्ट्रीम-IV : गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का चरणबध्द तरीके से प्रावधान

    ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के लिए अवसंरचना हेतु पूंजीगत उगाही की प्रतिशतता को निवल लागत का निर्धारण करते समय ध्यान में रखा जाएगा ।

    (v) स्ट्रीम-V : दूरसंचार सुविधाओं के विकास के लिए ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सामान्य अवसंरचना का सृजन

    (क) विकास के लिए ली जाने वाली सामान्य अवसंरचना की मदों को केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर विनिर्धारित किया जाएगा ।

    (ख) सामान्य अवसंरचना के विकास के लिए पूंजीगत उगाही की प्रतिशतता को निवल लागत का निर्धारण करते समय ध्यान में रखा जाएगा ।

    टिप्पणी -

    जब तक कि केन्द्र सरकार द्वारा अन्यथा विनिर्दिट न किया जाए, राजस्व जिला राजस्व जिलों के समूह को स्ट्रीम III, IV, V में विनिर्दिट कार्यकलापों की निवल लागत निकालने के लिए एक इकाई के रूप में लिया जाएगा ।

    (vi) स्ट्रीम -VI ग्रामीण और दूरदराज के दूरसंचार क्षेत्र में नए प्रौद्योगिकीय विकास का समावेश

    दूरसंचार क्षेत्र में नया प्रौद्योगिकीय विकास सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में चलाई जा सकने वाली प्रायोगिक परियोजनाओं को केंद्र सरकार के अनुमोदन से सहायता दी जाए ।

    सम्पर्क करें : कमरा नं0 204, संचार भवन, 20 अशोक रोड, नई दिल्ली - 110001, भारत
    टेलीफोन : +91-11-2327 2162
    फैक्स : +91-11-2337 2284
    ई मेल : dotuso[at]rediffmail[dot]com