आईपीवी6 अवस्थांतर

  • IPV6

    आज इंटरनेट विश्वभर में अरबों प्रयोक्ताओं को सेवाएं देने वाला एक वैश्विक नेटवर्क बन गया है और ऐसा इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) की व्यापक स्वीकार्यता के कारण हुआ है। इंटरनेट प्रोटोकाल का वर्तमान प्रारूप आईपीवी4 है जो तीन दशक से भी अधिक समय से पुराना प्रोटोकॉल है तथा इसकी अनेक सीमाए हैं। इसकी सबसे बड़ी सीमा यह है कि इसका पताभिगमन स्थान (एड्रेसिंग स्पेस) 32-बिट है जिसके परिणामस्वरूप 4.3अरब आईपी एड्रेसेस हैं। इंटरनेट, ब्राडबैंड, मोबाइल प्रयोक्ताओंऔर एनजीएन प्रौद्योगिकी के नियोजन की तीव्र वृद्धि के कारण आईपी एड्रेसेस की त्वरित खपत होने लगी है और जिसके परिणामस्वरूप विश्वभर में आईपीवी4 एड्रेसेस लगभग समाप्तहो गए हैं।

    इस कमी की समस्या से निजात पाने के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल प्रारूप 6 (आईपीवी6) विकसित किया गया जिससे 32-बिट के बजाए 128-बिट एड्रेसों का उपयोग करके आईपीवी4 की एड्रेसिंग क्षमता में सुधार करने में सहायता मिली है और इस प्रकार, इससे व्यावहारिक रूप से आईपी एड्रेसों की लगभग असीमित संख्या उपलब्ध हो गई है। इसके अलावा, आईपीवी6, आईपीवी4 का अनेक मायनों में विस्तारक रूप है। यहां यह भी उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि आईपीवी6 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' (आईओटी)/एम2एम संचारों के लिए एक समर्थ मंच प्रदान करेगा।

    रोडमैप/सार-संग्रह

    • नेशनल आईपीवी6तैनाती रोडमैपरुपान्तर-।।
    • आईपीवी6 आधारित समाधानों/वास्तुकला/मामला अध्ययनों पर सार-संग्रह
    • नेशनल आईपीवी6तैनाती रोडमैप रुपान्तर-।

    भारत का आईपीवी6 टास्क फोर्स

    • निगरानी समिति
    • परिचालन समिति
    • कार्यकारी समूह

    आईपीवी6 ईको-तंत्र

    • स्टेकहोल्डरों के मध्य आईपीवी6अवस्थांतर

    सामान्य सूचना

    • एफएक्यू
    • प्रस्तुतीकरण
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